।। JAI CHAKRADHARI।।
Neelam, which is called the most miraculous gem, has various beliefs associated with its praise.
Even for this, it is said to make the wearer extremely wealthy or extremely poor.
There are many such shrutis for this gem.
This gem will be explained in detail here.
This gem, which works on the Ajna Chakra and the Vishuddhi Chakra and can transform your creative potential along with your spiritual progress, has energies that are something like this:
This gemstone is the brother of topaz and ruby. Corundum is the name of its mother, which literally means extremely harsh.
Jalneelam refers to a clean and transparent sapphire that shows the sky, whereas Indraneelam refers to a jewel that is blue like the peacock's neck.
When Neelam is combined with Pukhraj, the result is "Pitambari," which is half Sapphire and half Pukhraj. When some part of the gem ruby comes into this sapphire, it is called "Ratkambari." Its other name is "Bloody Sapphire."
Now let's discuss something special about this pure sapphire:
Some scholars who have been experts in the part of Ayurveda called "Dhatushastra" have produced 10 colors of sapphire, which may also have differences in energy; this is a subject of research. The color differences are as follows:
blue, like the sap of the indigo.
blue, like an clitorea ternatea.
blue, like star gooseberry flower.
blue, like a linum usitatissimum flower.
blue, like a blue lotus.
blue, like the Indian roller bird.
deep blue, like the neck of a peacock.
blue, like the throat of Shankar.
blue, like the body of Lord Vishnu; greenish
blue, like the leaves of eclipta alba.
It has so many colors, as mentioned above; that too is a wonder of metallurgy. Due to the different amounts of iron and titanium, this gem has this colour. If you believe in astrology, then it has the special quality of making the wearer prosperous, but it can also cause trouble. And if it is transparent, then it is considered good.
If you believe in the medical science of Ayurveda, then it is also full of medicinal properties and is the killer of many diseases.
This gem has a unique power of attraction. As a result, it functions as a life jewel for Capricorn and Aquarius people. Similarly, it is going to provide longevity to the natives of these ascendants. For Taurus ascendant and Libra ascendant, Blue Sapphire is the ultimate Raja Yoga Karak Ratna, which plays an important role in opening their destiny.
Those who are afraid of this can first take a sapphire rock and wear it on their arm or test it by keeping it under their pillow.
can do.
According to foreign belief, the birthstone of a person born in the month of September is sapphire.
And according to numerology, people born on the 8th, 17th, or 26th can wear this stone.
because their radix is 8.
It is believed that those who wear blue sapphire have their path to fortune and progress automatically paved.
Kashmir has the best sapphires on the planet, followed by Sri Lankan sapphires, and Burma sapphires are also good.
In this sequence, sapphires from Africa, sapphires from Australia, sapphires from Russia, and sapphires from America also come.
Kashmiri sapphire is distinguished by the fact that it does not change colour in the light of the sun, whereas other sapphires do.
Talking about metal, it is best to wear sapphire in sterling silver or in a mixture of three metals like gold, silver, and copper.
The most preferred sapphire in the world is the blue color of Lord Vishnu, which is also known as Cornflower Sapphire.
।। जय चक्रधारी ।।
अत्यंत चमत्कारी रत्न कहा जाने वाला रत्न नीलम, जिसकी स्तुति में भाति - भाति की मान्यताएं जुडी हुई हैं।
यहाँ तक की इसके लिए यह भी कह दिया जाता है के यह धारणकर्ता को बहुत धनवान बना देता है या फिर कंगाल।
इस प्रकार की कई श्रुतियाँ इस रत्न के लिए प्रचलित हैं।
इसी रत्न पर यहाँ विस्तार से समझाया जायेगा।
आज्ञा चक्र व विशुद्धि चक्र पर कार्य करने वाला यह रत्न जो की आपके आध्यात्मिक उन्नति के साथ आपकी रचनात्मक क्षमता को भी परिवर्तित कर सकता है, इसकी ऊर्जाओ को निष्पंदन कुछ इस प्रकार का है।
यह रत्न पुखराज रत्न व माणिक्य रत्न का ही भाई है। इसकी माँ का नाम कोरण्डम है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है अत्यंत कठोर।
जिस नीलम में स्वच्छता हो, जिसमे आसमान दिखाई देता हो, पारदर्शी हो वह जलनीलम कहलाता है वहीँ जो मोर की गर्दन जैसा गहना नीला हो वह इंद्रनीलम कहलाता है।
जब कभी नीलम पुखराज से संयुक्त हो जाये यानी आधा नीलम और आधा पुखराज तो वह "पीतांबरी" कहलाता है। जब इस नीलम में कुछ हिस्सा रत्न माणिक्य का आ जाये तो यह "रत्कामबरी" कहलाता है, इसी का दूसरा नाम "खूनी नीलम" होता है।
अब इस विशुद्ध नीलम की कुछ विशेष चर्चा करते हैं :-
कुछ ऐसे विद्वानों ने जो आयुर्वेद के भाग - "धातुशास्त्र" के ज्ञाता रहे हैं, उन्होंने नीलम के १0 रंगों से उत्पादित किया है - जिनमें ऊर्जाओ के भेद भी हो सकते हैं, यह विषय अनुसंधान का है। रंगों के भेद इस प्रकार हैं -
- नीली वृक्ष के रस जैसा नीला।
- अपराजिता पुष्प जैसा नीला।
- हरफरौरी जैसा नीला।
- अतसीपुष्प जैसा नीला।
- नीलकमल पुष्प जैसा नीला।
- नीलकंठ पक्षी के जैसा नीला।
- मयूर कंठ जैसा गहरा नीला।
- भगवान् के शंकर के कंठ जैसा नीला।
- भगवान विष्णु के शरीर जैसा नीला।
- भृंगराज के पत्ते के जैसा हरा नीला।
इसके यह तो उपरोक्त इतने सारे रंग है वो भी धातुशास्त्र का ही कमाल है। लौह और टाइटेनियम की अलग अलग मात्राओं के चलते यह रंग इस रत्न में आता है। फलित ज्योतिष की मानें तो इसका एक यह विशेष गुण होता है के यह धारणकर्ता को समृद्धिशाली बना देता है फिर उपद्रव भी कर सकता है। एवं यह यदि पारदर्शी होता है तो अच्छा माना जाता है।
यदि आयुर्वेद के धातु शास्त्र की मानें तो यह औषिधीय गुणों से भी भरपूर है व अनेक रोग नाशक है।
इस रत्न में आकर्षण की विलक्षण शक्ति होती है। फलित अनुसार मकर व कुम्भ राशि वालों के लिए तो यह जीवन रत्न का काम करता है। इसी प्रकार यह इन्हीं लग्न के जातकों के लिए दीर्घायु प्रदान करने वाला है। वृष लग्न एवं तुला लग्न वालों के लिए नीलम परम राजयोग करक रत्न है जो उनके भाग्य को खोलने में महती भूमिका निभाता है ।
जिन लोगों को इसका भय रहता है वे पहले नीलम की चट्टान लेकर उसे बाजू पर बाँध कर पहन सकते हैं या तकिये के नीचे रखकर परीक्षण
कर सकते हैं।
विदेशी मान्यता अनुसार सितम्बर माह में जन्में व्यक्ति का जन्म रत्न नीलम होता है।
और न्यूमेरोलॉजी के हिसाब से ८, १७, २६ तारीख को जन्में व्यक्ति इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
क्योंकि इनका मूलांक ८ है।
ऐसा माना जाता है के जो जातक नीलम रत्न धारण करते हैं उनका भाग्योदय एवं उन्नति के मार्ग स्वतः ही प्रशस्त हो जाते हैं।
धरती के श्रेष्ठ नीलम कश्मीर से प्राप्त होते हैं इसके बाद नंबर आता है श्रीलंकाई नीलम का पश्चात बर्मा के नीलम भी अच्छे माने जाते है।
इस क्रम में फिर अफ्रीका के नीलम, ऑस्ट्रेलिया के नीलम, रूस व अमरीका के भी नीलम आते हैं।
कश्मीरी नीलम की विशेषता यह है के यह आसमानी बिजली के प्रकाश में भी अपना रंग नहीं बदलता है, जबकि अन्य नीलम उस बिजली के प्रकाश में रंग बदल लेते हैं।
धातु की बात करें तो नीलम स्टर्लिंग सिल्वर में या फिर तीन धातुओं के मिश्रण यथा सोना, चांदी, ताम्बा के मिश्रण में धारण किया जाना श्रेष्ठ कहता है।
संसार में सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला नीलम भगवन विष्णु के रंग जैसा नीला होता है जिसे कार्नफ्लॉवर नीलम भी कहते हैं।
।। ओउम का झंडा ऊँचा रहे ।।