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।।  JAI CHAKRADHARI।। 


Emeralds are known as Garuvyta, Haridratna, Taksharya, Turquoise, and Soparna in Sanskrit, in Persian: Jamurrad, in Bengali: Pana, in Kannada; Pachichalai and in Gujarati: Peelu.

The gemstone "Emerald" is from the name of its mother, "beryl".

Emerald also has some brothers with different colours. When its colour turns blue, it's a "Beruj", when the blueness turns green due to the iron element, it's an "emerald" and when pink turns to orange, it's a "morganite".

According to astrology, the only gem of Mercury is said to be a green emerald.

Emerald is obtained from many places on the earth. Colombia is known for its rich emerald reserves.

The Colombian emerald is known as the Tarpiche emerald.

The green colour of emerald comes from the metals Chromium and vanadium.

Emeralds are also mined in Brazil. It has less density than Colombian emeralds, but some Brazilian emeralds fall into the value category. And there are plenty of Brazilian emeralds available on the market today.

At present, rich emeralds also come from Zimbabwe through mines. They have low density but can be very attractive.

Many emeralds are also found in Russia, they are light green coloured. If we talk about other places, emeralds are also mined in Afghanistan, Australia, Ghana, India, Madagascar, Mozambique, Nigeria, Pakistan, Zambia, Tanzania, Egypt, and Carolina. 

Emeralds are delicate, so they are shaped/cut in a step cut, also known as an anna chowki or an emerald cut.

Other stones that look similar to the Emerald are sold by the name of Green aventurine and demantoid. They are found in the minerals diopside, dioptase, fluorite, grossular, hiddenite, peridot, uvarovite, and very elite.

Normally, when the Emeralds are extracted from mines they are soaked in oil or resin to hide their web and to increase their life. Indians are familiar with this type of Emerald since ancient times. In the Mahabharata and the Bhagwat, it's mentioned for the order of wearing gems. There is a law in Charakshahinta about wearing turquoise for the use of poison. As a result, its utility has been demonstrated for over 5000 years.

This gem is formed in the earth from a mixture of many metals (beryllium, aluminium, and silica) and oxygen. 

The gem scientist "Pliny" said that neither sunlight nor shadow nor candlelight is capable of changing the lustre of an emerald stone. This gem is very beneficial for the eyes.

The same "Moor" gemologist believes that if a snake keeps staring at an emerald stone continuously for a long time, then the snake will become blind.

That is why it is said that wearing emeralds removes one's fear of snakes.

Emerald is cool and sweet. Bile and ghosts are destroyers of obstacles. Interesting and convincing. There are Vanya, Vrishya, Vishdhan, and Vahni Deepak. Destroys fever, vomiting, poison, breathing, typhoid, animanga, arsh, pandu, and inflammation. Oz grows.

This gem is the source of wisdom.

According to astrology, this gem is representative of the planet Mercury. Mercury is the prince of the planet of Gods. The wearer of this gem transforms from a prince to a king. Wearing this gemstone opens the mind of the wearer. Students get success in education, and traders get business success.

Emerald stones can be worn in silver on the ring finger of the left hand or in gold on the ring finger of the right hand.

The question arises: who can wear emeralds?

Wearing emerald is auspicious for Taurus, Gemini, Virgo, Libra, Capricorn, and Aquarius. While this stone can be worn in certain situations according to the horoscopes of Leo, Sagittarius, and Pisces people.

Born on the numbers 5, 14, and 23, wear emeralds and diamonds.



।।  जय चक्रधारी ।।  


पन्ने को संस्कृत में गारुव्य्त, हरिद्रत्न, ताक्षर्य, मरकत, सोपर्ण, फारसी में -जमुर्रद, बांग्ला में -पाना, कन्नड़ में -पचिचलई, गुजरती में- पीलू कहते हैं।

"रत्न पन्ना" इसकी माँ का नाम "beryl" है। 

इसके कुछ भाई और भी है जिनके अलग रंग है। जब इसका रंग नीला हो जाये तो इसका नाम "बेरुज" होता है। लोह तत्व से नीलापन जब हरा हो जाए तो "पन्ना" कहलाता है। जब गुलाबी नारंगी हो जाये तो "morganife" कहलाता है। 


फलित ज्योतिष की मानें तो बुध रत्न हरे पन्ने को ही बतलाया गया है। 

यह धरती के कई हिस्सों से प्राप्त किया जाता है। कोलम्बिया में अच्छे पन्नो के भंडार है। 

tarpiche emerald - colombian पन्ना ही कहलाता है ।

पन्ने का हरा रंग धातु -chome एवं Vanadium के कारण आता है।

ब्राजील में भी अच्छी मात्रा में पन्ना माइन किया जाता है। इसमें कोलम्बियन पन्ने के मुकाबले घनत्व कम होता है, किन्तु कुछ ब्राजील के पन्ने बहुमूल्य श्रेणी के निकलते है। और बड़ी मात्रा में ब्राजील के पन्ने आज बाजार में उपलब्ध है। 

वर्तमान में जिम्बाव्वे से भी भरपूर पन्ना माइन होकर आता है। यह भी घनत्व में कम होते है, किन्तु दिखने में बेहद आकर्षक हो सकते है। 

रूस में भी बहुत पन्ने पाये गये है, किन्तु इनका रंग हल्का हरा होता है। यदि और स्थानों की बात करें तो अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, घाना, भारत, मडागास्कर, मोजाम्बिक, नाइजीरिया, पाकिस्तान, जाम्बिया, तंजानिया, इजिप्ट, केरोलिना में भी पन्ने निकलते है। 

पन्ना नाजुक होता है। इसलिए इसे स्टेप कट  में काटा जाता है, जिसे पन्ना चौकी या एमराल्ड कट भी कहते है। 

पन्ने के नाम लेकर कई बार दूसरे पत्थर जो पन्ने के समान ही दिखते है - थमा दिए जाते है। जिनका नाम - "green aventurine, demantoid, diopside, dioptase, fluorite, grossular, hiddenite, peridot, uvarovite, verdelite" होता है।

सामान्यतः जब यह रत्न माइंस में से निकलता है तो पन्ने को तेल में या रेसिन में  निकालते ही - इसके जाल को छुपाने व आयु बढाने के लिए डाल दिया जाता है। प्राचीन काल से भारतीय लोग इस मरकतमणि से परिचित है। महाभारत एवं श्रीमदभागवत में रत्नो के धारण क्रम में इसका वर्णन मिलता है। चरकसहिंता में  विषध्न प्रयोग के लिए मरकत धारण का विधान है। अत: ५ हजार वर्षो से इसका उपयोग सिद्ध होता है। 

यह रत्न यौगिक है, कई धातुओं का - बेरेलियम, अल्युमिनियम, सिलिका, ऑक्सीजन से मिश्र होकर पन्ना धरती में बनता है। 

रत्न वैज्ञानिक ''प्लीनी'' का कहना था के - न तो सूर्य की रोशनी न छाया, न मोमबत्ती का प्रकाश पन्ना रत्न की धुति बदलने में समर्थ है। यह रत्न नेत्रों के लिए अत्यंत लाभकारी है। जिसकी दृष्टि मंद पड़ जाती है , पन्ना रत्न को बराबर देखने से उसकी दृष्टि पुनः स्वस्थ हो जाती है। 

वही ''मूर'' रत्न वैज्ञानिक का मत है, कि यदि सर्प पन्ना रत्न को लगातार कुछ देर तक देखता रहे तो सर्प अन्धा हो जाता है। 

 इसलिए यह कहा जाता है, कि पन्ना धारण करने से सर्पविष का भय नहीं रहता है। 

पन्ना शीत एवं मधुर है। अम्लपित्त एवं भूत प्रेत बाधा नाशक है। 

रुचिकर है और पुष्टिकारक है। वन्य, वृष्य, विषध्न एवं वह्नि दीपक है। ज्वर, वमन, विष, श्वास ,सन्निपातिक,अग्निमांद्य, अर्श, पाण्डु और शोथ का नाश करता है। ओज को बढ़ता है। 

यह रत्न बुद्धि प्रदाता  है। 


फलित ज्योतिष अनुसार - यह रत्न बुध ग्रह का घोतक है। बुध ग्रह देव परिषद् का राजकुमार है। इस रत्न को धारण करने वाला राजकुमार से राजा हो जाता है। इसके धारण करने से धारक की बुद्धि खुलती है। विद्यार्थी विद्या में सफलता प्राप्त करते है एवं व्यापारी व्यापर में । 

पन्ना रत्न को Sterling Silver में पहना जा सकता है, बाये हाथ की अनामिका में या फिर स्वर्ण में दाये हाथ की कनिष्का में। 


प्रश्न उठता है - पन्ना कौन कौन धारण कर सकते हैं ?

वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर व कुंभ राशि वालों के लिए पन्ना धारण करना शुभ होता है। जबकि सिंह, धनु और मीन राशि वालों की  कुंडली के अनुसार कुछ स्थितियों में यह रत्न पहना जा सकता है। 

न्यूमरोलॉजी-५ ,१४ ,२३ तारीख को जन्मे, पन्ना व हीरा पहने।


।।  ओउम का झंडा ऊँचा रहे ।।


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