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  • Bhojya Ranga Indra Lota - 1000ml 670gm -
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Bhojya Ranga Indra Lota - 1000ml (670gm) - भोज्य रांगा इंद्रा लोटा

CHAKRADHARI
SKU: BRIL-4
Rating5/5 based on 1 reviews
MRP:
US $ 73.51
(Inclusive of all taxes)
CHAKRADHARI
Made for 99.9% Pure Ranga Metal (Tin).
Weight - 670gm, Capacity = 1000 ML.
Country of Origin: India
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Description

॥ जय चक्रधारी ॥


मानव शरीर जो की बहुत ही महत्वपूर्ण है । हम इस जन्म को तभी सफल बना सकते हैं जब हमारा स्वास्थ्य निरन्तर बना रहे। स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन व सबसे बड़ी सम्पदा है।

स्वस्थ रहने का सीधा सम्बन्ध जुड़ा है हमारे पेट से । पेट सही तो सब सही।

तो आओ आगे के महत्व की बात करते हैं ।

जैसा की आप देख रहे हैं के यहाँ - राँगा लोटा उपस्थित है । आप इसे सजावट का सामान तो बिल्कुल ना समझें । यह धातु अपने आप में बहुत विशेष है।

यह धातु है राँगा - जिसका अंग्रेजी नाम TIN कहाता है। इसे कली नाम से भी जाना जाता है और संस्कृत में इसे ही धातु वंग कहते हैं। इसका महत्व आप किसी भी आयुर्वेदाचार्य से जान सकते हैं।

ध्यान यह रखा जाये के इस धातु में मिलावट न हो । यह बहुत ध्यान रखने योग्य है। भोज्य राँगा और मिश्र राँगा धातु में से - आपकी निजी पाकशाल में तो केवल भोज्य राँगा धातु का ही प्रवेश होना चाहिये।


अब मुख्य बात - राँगा धातु में भोजन पकाने से आपकी आतों को बहुत बल मिलता है। यह बल उन कमजोर आँतो को भी मजबूत कर सकता है जो हार मान चुकी हों। किन्तु इसमें उन्हीं सत्मग्री को पकाया जाये जो इस धातु से प्रेम रखती हैं। 

उदाहरण - रसम ।


इस धातु का गलनांक कम होने के कारण इसको खाली रख कर गैस पर नहीं चढ़ाया जाता अपितु इसमें कम से कम 1/4 तो जल या झोल रहना ही चाहिये। इस पात्र को बहुत तेज आँच पर ना चढ़ावें । मन्द आँच पर ही चढावें।

इस पात्र से जोर जबरदस्ती ना करें , इस पात्र को बहुत तेज न दबावें बल्कि सावधानी पूर्वक सम्भाल कर ही प्रयोग में लेंवें ।

इसमें दूध उबालें , इसके पात्र में दही जमावें , इसके पात्र में शिकन्जी बनावें, छाछ बनावें। इस पात्र में खाने पीने की सामग्री सुरक्षित (स्टोर) भी करी जा सकती हैं।

यह धातु अद्भुत हैं । ताम्बा बर्तन हो या पीतल बर्तन उनकी भी उपयोगिता तभी सार्थक होती है जब इसी धातु की परत जिसे कलई कहते हैं - चढ़ा दी जाये।


अब आपकी सूचनार्थ बता देते हैं के आज भी इस धातु का प्रयोग तमिलनाडु के देहात में पुराने लोगों द्वारा प्रयोग किया जाता है । बाकी भारत इस पात्र के प्रयोग हेतु एक तरह से अपने भाग्य के खुलने की प्रतीक्षा ही कर रहा है। आओ इस पात्र को हम पूरे भारत में घर घर में पहुंचायें । यह आपके रसोईघर में जब तक नहीं - आपका जीवन ही अधूरा मानिये।


इस धातु के बर्तन बनाना अत्यधिक कठिन होने के कारण ही यह बहुत जटिल क्रिया है क्यूंकि इसमें बहुत लोचशीलता है। इसलिये आप यदि यह पूरा लेख पढ़ते पढ़ते यहाँ पहुँच गये हैं तो विश्वास करिये यह आपका सौभाग्य है। ईश्वर की दया हुई है। आज हालात ऐसे हैं के सही वस्तु तक पहुंच पाना भी एक क्रान्ति ही है। जो सभ्यता प्रेमी हैं मानव प्रेमी हैं जो राष्ट्र से बहुत प्रेम करते हैं अपने आप से प्रेम करते हैं और उतना ही प्रेम अपने परिवार से करते हैं - हम मानते हैं के उनका स्वस्थ रहना बहुत आवश्यक है - क्योंकि वो ही भारत माता के रक्षक होंगे। इसलिये इस पात्र को आओ सब जगह पहुंचायें । हर घर में पहुंचायें ।


॥ ओ३म् का झंडा ऊँचा रहे ॥



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